जन्म: 28 दिसम्बर , चोरवाड़, जूनागढ़ एस्टेट, ब्रिटिश इंडिया
मृत्यु: 6 जुलाई
कार्य/व्यवसाय: उद्योगपति, रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक
स्रोत:
प्रारंभिक जीवन
धीरजलाल हीरालाल अंबानी अथवा धीरुभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर, , को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ गाँव में एक सामान्य मोध बनिया परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हिराचंद गोर्धनभाई अंबानी और माता का नाम जमनाबेन था। उनके पिता अध्यापक थे। अपने माँ-बाप के पाच संतानों में धीरूभाई तीसरे नंबर के थे। उनके दूसरे भाई-बहन थे रमणिकलाल, नटवर लाल, त्रिलोचना और जसुमती। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें हाईस्कूल में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ गई। ऐसा कहा जाता है की परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए उन्होंने गिरनार के पास भजिए की एक दुकान लगाई, जो मुख्यतः यहां आने वाले पर्यटकों पर आश्रित थी।
कैरियर
सन में सोलह साल की उम्र में वे अपने बड़े भाई रमणिकलाल की सहायता से यमन के एडेन शहर पहुंचे गए। वहां उन्होंने ‘ए.
Lateef oladimeji account examplesबेस्सी और कंपनी’ के साथ रूपये प्रति माह के वेतन पर काम किया। लगभग दो सालों बाद ‘ए. बेस्सी और कंपनी’ जब ‘शेल’ नामक कंपनी के उत्पादों के वितरक बन गए तब धीरुभाई को एडन बंदरगाह पर कम्पनी के एक फिलिंग स्टेशन में प्रबंधक की नौकरी मिली।
रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन की स्थापना
के दशक के शुरुआती सालों में धीरुभाई अंबानी यमन से भारत लौट आये और अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी (जिनके साथ वो यमन में रहते थे) के साथ मिलकर पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का व्यापार प्रारंभ किया। रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन की शुरुआत मस्जिद बन्दर के नरसिम्हा स्ट्रीट पर एक छोटे से कार्यालय के साथ हुई। इस दौरान अम्बानी और उनका परिवार मुंबई के भुलेस्वर स्थित ‘जय हिन्द एस्टेट’ में एक छोटे से अपार्टमेंट में रहता था।
वर्ष में धीरुभाई अम्बानी और चम्पकलाल दमानी की व्यावसायिक साझेदारी समाप्त हो गयी। दोनों के स्वभाव और व्यापार करने के तरीके बिलकुल अलग थे इसलिए ये साझेदारी ज्यादा लम्बी नहीं चल पायी। एक ओर जहाँ पर दमानी एक सतर्क व्यापारी थे, वहीं धीरुभाई को जोखिम उठानेवाला माना जाता था।
रिलायंस टेक्सटाइल्स
अब तक धीरुभाई को वस्त्र व्यवसाय की अच्छी समझ हो गयी थी। इस व्यवसाय में अच्छे अवसर की समझ होने के कारण उन्होंने वर्ष में अहमदाबाद के नैरोड़ा में एक कपड़ा मिल स्थापित किया। यहाँ वस्त्र निर्माण में पोलियस्टर के धागों का इस्तेमाल हुआ और धीरुभाई ने ‘विमल’ ब्रांड की शुरुआत की जो की उनके बड़े भाई रमणिकलाल अंबानी के बेटे, विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था। उन्होंने विमल ब्रांड का प्रचार-प्रसार इतने बड़े पैमाने पर किया कि यह ब्रांड भारत के अंदरूनी इलाकों में भी एक घरेलु नाम बन गया। वर्ष में विश्व बैंक के एक तकनिकी दल ने रिलायंस टेक्सटाइल्स के निर्माण इकाई का दौरा किया और उसे विकसित देशों के मानकों से भी उत्कृष्ट पाया।
रिलायंस और स्टॉक मार्केट
धीरुभाई को इक्विटी कल्ट को भारत में प्रारम्भ करने का श्रेय भी जाता है। जब में रिलायंस ने आईपीओ (IPO) जारी किया तब 58, से ज्यादा निवेशकों ने उसमें निवेश किया। धीरुभाई गुजरात और दूसरे राज्यों के ग्रामीण लोगों को आश्वस्त करने में सफल रहे कि जो उनके कंपनी के शेयर खरीदेगा उसे अपने निवेश पर केवल लाभ ही मिलेगा।
कारोबार का विस्तार
अपने जीवनकाल में ही धीरुभाई ने रिलायंस के कारोबार का विस्तार विभिन क्षेत्रों में किया। इसमें मुख्य रूप से पेट्रोरसायन, दूरसंचार, सूचना प्रोद्योगिकी, उर्जा, बिजली, फुटकर (retail), कपड़ा/टेक्सटाइल, मूलभूत सुविधाओं की सेवा, पूंजी बाज़ार (capital market) और प्रचालन-तंत्र (logistics) शामिल हैं।
आलोचना
हालाँकि कारोबार की सफलता में धीरुभाई अम्बानी ने आसमान की बुलंदियों को छू लिया था पर उनपर लचीले मूल्यों और अनैतिक प्रवृति अपनाने के आरोप भी लगे। उनपर यह आरोप लगा कि उन्होंने सरकारी नीतियों को अपनी आवश्यकताओं के अनुकूल चालाकी से बदलवाया और अपने प्रतिद्वंदियों को भी सरकारी नीतियों के सहारे पठखनी दी।
बॉम्बे डाइंग के नुस्ली वाडीया के साथ संघर्ष
धीरुभाई और बॉम्बे डाइंग के नुस्ली वाडीया का संघर्ष जग जाहिर है। पॉलिएस्टर कपड़े के बाज़ार पर कब्जे के लिए दोनों ही कंपनियां सघर्षशील थीं। यह लाइसेंस राज का दौर था और सब कुछ सरकार के नीतियों के ऊपर निर्भर करता था। धीरुभाई अम्बानी को अपनी राजनैतिक पहुँच के लिए जाना जाता था और उनमें योग्यता थी कि वे मुश्किल से मुश्किल लाइसेंस को भी अपने हक़ में करा लेते थे। इस मामले पर उनपर ये आरोप लगा की उन्होंने सरकार से सांठ-गाँठ कर अपने प्रतिद्वंदी के लिए अडचने पैदा करवायीं।
सम्मान
मृत्यु
दिल का दौरा पड़ने के बाद धीरुभाई को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 24 जून, को भर्ती कराया गया। इससे पहले भी उन्हें दिल का दौरा एक बार में पड़ चुका था, जिससे उनके दायें हाँथ में लकवा मार गया था। 6 जुलाई को धीरुभाई अम्बानी ने अपनी अन्तिम सांसें लीं। उनके पीछे उनकी पत्नी कोकिलाबेन और दो बेटे मुकेश और अनिल और दो पुत्रियाँ नीना कोठारी और दीप्ति सल्गाओंकर हैं।
धीरुभाई अम्बानी के विचार